प्रेग्नेंसी के बाद पति का बदलता नज़रिया
मेरे सामने मेरी पत्नी नग्न अवस्था में थी, उसकी योनि खुली हुई थी। मैं देख सकता था कि बच्चे का सिर बाहर दिख रहा है। यह वही जगह थी जिसकी चाहत मुझे हर रात होती थी।
बच्चा बाहर आया, और तुरंत उसके सीने के कपड़े हटाए गए। उसके स्तन दिख रहे थे, और बच्चे को उसी स्तन पर लिटाकर साफ कपड़े से ढक दिया गया। यह दोनों शरीर के वही अंग थे जिनके लिए पुरुष सब कुछ करने को तैयार होता है, उन्हें पाने की चाहत रखता है। जन्म भी उसी स्थान से होता है और जन्म के तुरंत बाद उसी छाती से गर्मी दी जाती है।
शारीरिक आकर्षण और सच्चा प्यार
उस रात के बाद मेरी सोच मेरी पत्नी को लेकर बदल गई। मैंने महसूस किया कि एक औरत इतने कष्ट और दर्द सिर्फ इसलिए सहती है ताकि उसका वंश आगे बढ़ सके। उस दिन मुझे यह समझ आया कि मुझे उसके शरीर से नहीं, बल्कि उससे प्रेम है।
प्रसव के दौरान पति की भावनाएं
उस दिन मेरी माँ के लिए मेरे मन में इज़्ज़त और भी बढ़ गई। मुझे एहसास हुआ कि इस दुनिया में मुझे लाने के लिए मेरी माँ ने कितने कष्ट सहे होंगे।
पत्नी से प्यार करने का असली मतलब
मेरा मानना है कि जो लोग अपनी पत्नी को सिर्फ संभोग की वस्तु समझते हैं, उन्हें एक बार प्रसव के दौरान अपनी पत्नी को ज़रूर देखना चाहिए।
🤱स्त्री का शरीर सिर्फ आकर्षण नहीं, सृजन की शक्ति है: एक पति की आंखों से
🕵️एक पति के नजरिए से जानिए कैसे एक औरत के शरीर की चाहत, प्रेम और मातृत्व का अनुभव उसके सोच को बदल देता है। यह कहानी हर पुरुष को एक बार जरूर पढ़नी चाहिए।
हम अक्सर स्त्री के शरीर को सिर्फ आकर्षण के👩🦰 नजरिए से देखते हैं—उसकी योनि और स्तन को सिर्फ यौन सुख से जोड़ते हैं। पर क्या हमने कभी सोचा है कि यही शरीर सृजन की शक्ति भी रखता है? एक पुरुष की आंखों से जन्म और प्रसव 🤰का अनुभव देखना, उसकी सोच को कैसे बदल देता है—यही इस कहानी का मूल है।
👫शादी से पहले अक्सर पुरुषों के मन में स्त्री के शरीर को लेकर कई तरह के विचार होते हैं। आकर्षण स्वाभाविक है, लेकिन यह आकर्षण अक्सर उसकी आत्मा और संघर्ष को नहीं देखता।
मेरी भी सोच कुछ ऐसी ही थी। जब मेरी शादी रानी से हुई, तो मैं भी उसके सुंदर शरीर से आकर्षित हुआ। शुरूआत में यह समझना मुश्किल था कि प्रेम 👩❤️👩 उसकी आत्मा से है या 🤱शरीर से।
समय बीतता गया, हम एक-दूसरे के करीब आते गए। लेकिन जब भी किसी रात वह थकी होती या मना कर देती, मेरा व्यवहार बदल जाता। उस वक्त समझ नहीं आता कि मेरा प्रेम स्थायी है या सिर्फ इच्छा आधारित।
समय बीता और रानी गर्भवती हुई। हमारी ज़िंदगी में नया मेहमान आने वाला था। एक तरफ खुशी थी, तो दूसरी ओर चिंता।
डिलीवरी की रात मेरे लिए एक टर्निंग पॉइंट बन गई। दर्द के कारण रानी की स्थिति बिगड़ने लगी। डॉक्टरों ने मुझे बुलाया, उसकी हालत समझाई और मुझे उसके पास बैठने को कहा।
जब मैं उसे देखने गया, वह असहाय, पीड़ा से जूझ रही थी। और वहीं, मेरी आंखों के सामने उस जगह से हमारे बच्चे का जन्म हुआ—जिस जगह को मैं पहले सिर्फ कामुक नजरों से देखता था।
बच्चा बाहर आया, और डॉक्टरों ने तुरंत उसे मां के सीने से लगाकर स्तनपान कराया।
उसी क्षण मेरी आंखों से एक पर्दा हट गया।
मुझे एहसास हुआ कि यही अंग, जिनसे मैं आकर्षित था, एक नए जीवन की शुरुआत का माध्यम हैं। एक स्त्री सिर्फ एक प्रेमिका या पत्नी नहीं होती—वह एक सृष्टि की जननी होती है।
उस दिन मेरी पत्नी के लिए प्रेम और सम्मान की भावना कई गुना बढ़ गई। साथ ही मेरी मां के लिए भी। मैं समझ गया कि जो कष्ट मां ने मुझे लाने के लिए झेले, उन्हें शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता।
मेरा मानना है कि हर पुरुष को एक बार अपनी पत्नी की डिलीवरी का अनुभव करना चाहिए। तब ही वो समझ पाएगा कि स्त्री का शरीर सिर्फ आकर्षण का विषय नहीं है, बल्कि वह सृजन का प्रतीक है।
